
आज का भारतीय प्रजातंत्र
“जहां डाल डाल पर सोने की चिड़िया करती बसेरा वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा।”
यार सोने की चिड़िया 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुई।
विश्व रत्ना डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर और उनकी सहकारी अतीक मेहनत करके 26 नवंबर 1949 को भारत को प्रजातंत्र बनाने की नींव रखी और 26 जनवरी 1950 को दुनिया में एक नया प्रजातंत्र का निर्माण हुआ वह प्रजातंत्र का भारतीय प्रजातंत्र।
पंडित जवाहरलाल नेहरू इस भारतीय प्रजातंत्र के पहले पंतप्रधान थे।
जब नेहरू जी भारत के पंतप्रधान बने थे तब भारत के सामने बड़ी विकट परिस्थिति थी क्योंकि देश अंग्रेजों से गुलामी से आजाद हुआ था और भारत के सामने काफी बड़ी चनिया पिया थी क्योंकि भारत का एक अंग पाकिस्तान से अलग हुआ था और उनका भी गुजारा करने के लिए भारत से पैसा गया था और उसे भी पाकिस्तान ने भारत पर हमला बोला था।
पाकिस्तान का अलग होना उसका भारत पर आक्रमण करना और भारत के उज्जवल भविष्य की चिंता इतनी सारी चुनौतियां उनके सामने थी।
इतने विकट परिस्थितियों के बावजूद भी पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत को कुशल नेतृत्व दिया और भारत को दुनिया के सबसे बड़ा प्रजातंत्र बनाने की ओर अग्रसर बनाया।
1962 में चीन का आक्रमण और उसके बाद 1965 में पाकिस्तान का आक्रमण और पंडित जवाहरलाल नेहरु जी का अचानक जाना भारत पर भारी संकट आ पड़ा लेकिन लाल बहादुर शास्त्री जी ने भारत को सक्षम नेतृत्व दिया और भारत के बुनियादी ढांचे को बनाए रखा।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बनकर उभर रहा था। लेकिन बदकिस्मती से लाल बहादुर शास्त्री भी अचानक चले गए और भारत का नेतृत्व इंदिरा गांधी जी के हाथ में आया।
इंदिरा गांधी ने भारत को सबसे बड़ा प्रजातंत्र के साथ-साथ दुनिया के दबाव के बावजूद भी भारत को अनु शक्ति बनाने का साहस दिखाया।
सन 1984 में राजनीतिक हत्याकांड में इंदिरा गांधी की हत्या हुई और देश का नेतृत्व राजीव गांधी जी के हाथ में आया। राजीव गांधी ने भारत को संगणक का सपना दिखाया और और भारत में संगणक युग की शुरुआत हुई।
राजीव गांधी की जाने के बाद भारत में आर्थिक मंदी थी ऐसे में सन 1991 में पीवी नरसिम्हा राव और उनके तत्कालीन अर्थ मंत्री डॉ मनमोहन सिंह भारत के लिए संकटमोचक बनकर आए और भारत की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया।
लेकिन बाबरी मस्जिद विध्वंस के कारण पी वी नरसिंह राव और कांग्रेस को सन 1996 में करारी हार झेलनी पड़ी।
इसके बाद आई सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई और सन 1990 में अटल बिहारी बाजपेई और उनके सहयोगी पार्टी ने राष्ट्रीय लोकशाही दल (NDA) स्थापित किया और सरकार स्थापन की जिसने 2004 तक अपना पूरा 5 साल का कार्यकाल पूरा किया लेकिन 2002 के गोधरा कांड में बीजेपी सरकार को कलंक लगा और उनको सत्ता गंवानी पड़ी।
2004 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी ऊपर कराई और उन्होंने अपने सहयोगी दल मिलकर संयुक्त पुरोगामी आघाडी (UPA) की स्थापना की और डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व में सरकार स्थापन की।
डॉ मनमोहन सिंह की सरकार द्वारा चलाए गए कुछ सामाजिक कार्यक्रम ने भारतीय प्रजातंत्र का चेहरा मोहरा बदल दिया और भारतीय अर्थव्यवस्था ने रफ्तार पकड़ ली और वह दुनिया में सबसे तेजी से विकसित होने वाली दूसरी अर्थव्यवस्था बन गई थी।
सन 2014 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी उभर कर आई और उसने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार की स्थापना की।
लेकिन पिछले 6 सालों में भारतीय प्रजातंत्र को न जाने किसकी नजर लग गई कि वहां पर लोकशाही के पवित्र मंदिर की चाबी कुछ पूंजीपतियों के हाथों में जाने के आसार दिख रहे हैं।
भारत सरकार को मोहरा बनाकर कुछ पूंजीपति भारतीय लोकशाही को हथियाना चाहते हैं और उनको पूंजीवादी राष्ट्र बनाना चाहते हैं।
ऐसा लग रहा है कि भारतीय प्रजातंत्र राजा तंत्र बनने जा रहा है।