विश्व कप क्रिकेट के फाइनल में अंपायर कि यह 2 गलतियां विरोधी टीम को पड़ गई भारी।
ऐसी गलतियां विश्व कप क्रिकेट फाइनल में दो बार हुई है एक 2003 के वर्ल्ड कप में और एक 2019 के वर्ल्ड कप में।
2003 का विश्व कप क्रिकेट फाइनल भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया खेला गया था। 2003 के विश्वकप क्रिकेट फाइनल में फाइनल मैच के हीरो रिकी पोंटिंग अपने 40 रन के निजी स्कोर पर खेल रहे थे।
और भारत की ओर से भारत के पार्टटाइम स्पिनर दिनेश मोंगिया बॉलिंग कर रहे थे दिनेश मोंगिया का एक बाल स्वीप करने के चक्कर में पॉन्टिंग चूक गए और उनका बॉल पैड पर लगा।
दिनेश मोंगिया ने काफी अपील करने के बाद में फाइनल में सबसे ज्यादा अंपायरिंग करने वाले स्टीव बकनर ने उनकी अपील को नकारा और पॉन्टिंग को नॉट आउट करार दे दिया।
जबकि टीवी रिप्ले में साफ दिख रहा था कि रिकी पोंटिंग आउट है। इसका नतीजा पोंटिंग ने उस में 100 रन और जोड़े और डेमियन मार्टिन के साथ बड़ी साझेदारी निभाते हुए 360 रन का विशाल लक्ष्य भारत के सामने रखा।
जिसका नतीजा भारत की टीम दबाव में आ गई और लक्ष्य का पीछा करते-करते 284 रन के स्कोर पर ऑलआउट हो गई। शायद रिकी पोंटिंग 40 के स्कोर पर आउट हो जाते तो मैच का नतीजा कुछ और हो सकता था।

दूसरी गलती 2019 के विश्व कप क्रिकेट के फाइनल में अंपायर कुमार धर्म सेना द्वारा हो गई। 2019 का विश्व कप क्रिकेट फाइनल न्यूजीलैंड बनाम इंग्लैंड खेला गया था।
मैच के आखिरी और के तीसरे बॉल पर बल्लेबाज बेन स्टोक्स ने शॉट मारा और 2 रन के लिए वह दौड़े बाउंड्री से न्यूजीलैंड के फिल्डर मार्टिन गुप्टिल ने बॉल फेंका जो बेन स्टॉक के बैट को टकराकर बाउंड्री पार हो गया
जिसका नतीजा एंपायर कुमार धर्म सेना ने इंग्लैंड की टीम को छह रन ओवरथ्रो के बहाल कर दिए। बल्लेबाज बेन स्टॉक ने एंपायर को अपने फैसले को वापस लेने की विनंती की लेकिन अंपायर डिसीजन दे चुके थे और वह उनका आखिरी डिसीजन था। इसका नतीजा मैच टाई हो गया।
मैच सुपर ओवर में चला गया और सुपर ओवर में भी टाइप हो गया। इंग्लैंड टीम को ज्यादा बॉन्ड्री लगाने के निर्णय पर विजता टीम घोषित कर दिया गया।
मैच खत्म होने के बाद एंपायर कुमार धर्म सेना ने अपने गलती कबूल की। लेकिन तब काफी देर हो चुकी थी और इंग्लैंड विश्व विजेता बन चुकी थी अगर कुमार धर्म से ना तभी अपनी गलती मान लेते तो इसका नतीजा कुछ और होता।
